Thursday, March 3, 2011

मुस्कुराती शाम..

मुस्कुराती शाम..

रात के पेहलू में जाते-जाते

खुशनुमा कर चली पलों को कुछ इस तरह..

के चांदनी भी होठों तक आती हंसी को रोक न सकी,

हया से आँखों को बस मूँद लिया,

उस मीठे एहसास को

रात भर..

जी भर के जीया,

सुबह ने जब दस्तक दी

चाँदनी से,

थोड़ी सी शर्म सौगात मिली

और वो भी पलकें मूँद कर

शर्म से लाल हुयी....

यह कहानी शाम की..

चाँदनी में सिमटकर

सुबह परवान चड़ी....



Tuesday, November 23, 2010

सिलवटें यादों की...



शाम ढलती रही
रात गहराती रही
सिलवटें यादों की,
परत दर परत
ज़ेहन में
करवटें बदलती रही

रोज़ तो मिलती हैं यह मुझ से
आज लगती हैं कुछ बदली हुयी
भागती हुयी सी यह ज़िन्दगी
लगता है थोड़ी धीमी हुयी
नींद की चादर बन कर,
यादें,
मीठे सपने संजोती रही
शाम ढलती रही
रात गहराती रही
सिलवटें यादों की,
परत दर परत
ज़ेहन में
करवटें बदलती रही...

मूँद कर आँखें
मैं चुपचाप इनके साथ चलती रही
देख कर इनकी दुनिया
लगा मुझे अपनी दुनिया है मिली
लेकर मुझे अपनी
बाहों में,
यादें,
सारी रात जागती रही
शाम ढलती रही
रात गहराती रही
सिलवटें यादों की,
परत दर परत
ज़ेहन में
करवटें बदलती रही....

Tuesday, November 9, 2010

आखरी सफ़र


ख़ामोशी और एक गहराता हुआ सा सन्नाटा
पीछे छोड़ चल देती है ज़िन्दगी
मुड़ के देखती नहीं
क्षण भर भी रूकती नहीं
आवाज़ देने पर भी सुनती नहीं
छोड़ जाती है
झोली भर के ऐसी यादें
जो ता-उम्र
ज़ेहन से मिटती नहीं
चल पड़ती है एक सफ़र ऐसा तय करने को
"ज़िन्दगी"
जिसकी वापसी नहीं...

Friday, August 13, 2010

"आशा"


जब लगने लगे तुम्हें यह ज़िन्दगी बेमानी सी,
रात की चाँदनी भी लगे काली सी,
रौशनी आँखों में चुभने लगे,
अपनी आवाज़ भी ख़ामोशी लगे,
टूटता सा हर सपना हो,
सब "अपने" पर कोई "अपना" न हो.....
आँखे मूँद लेना
तुम "मुझे" अपने पास ही पाओगे!
"मैं" तुम में हूँ
तुम्हारे मन के किसी कोने में दबी-दबी सी
हलके-हलके सांस लेती हुई,
मुश्किलों में तुम्हें हौसला देती
जीवन जीने के लिए प्रेरित करती हूँ
थाम लो हाथ मेरा
मैं और कोई नहीं
एक"उम्मीद"
एक "आस"
एक "आशा" हूँ.......

Friday, July 9, 2010

कभी फुरसत मिले


दो घडी कर लो हम से दिल की बात
कल रुखसत हो गए हम
तो रह जायेगी दिल में ही बात

रहेगा तुम्हें ज़िन्दगी भर यह मलाल
इजहार न कर सके
दिल का था जो हाल

बे-इश-कीमती वक़्त है मेरा
थाम लो आज यह दामन
कल शायद हो न हो यह सवेरा

एक बार मान लो बस कहना यह मेरा

दो घडी के लिए ही सही
साथ दे दो मेरा..........

Friday, June 25, 2010

कुछ यादें नमकीन सी.....


कुछ यादें नमकीन सी.....
कुछ मीठी सी और कुछ खट्टी भी......
आहट दे जाती हैं दिल के दरवाज़े पर....
खोलती हूँ जब....... न जाने कब से जो बंद है दरवाज़े.....
गिला करती हैं मुझसे....
कहती हैं इतनी देर क्यूं लगाई.....
क्या कभी मेरी "याद" नहीं आयी?
हंसती हूँ...मुस्कुराती हुयी कहती हूँ उनसे.....
"जुदा ही कब थी तुम मुझे से.....मन में बसती हो तुम...मेरी सांस में सांस लेती हुयी...
हर पल जीती हुईं...... एक अमिट एहसास बन कर"

Thursday, April 29, 2010

ज़िन्दगी ढूँढती है जीने के लिए ....



ज़िन्दगी ढूँढती है जीने के लिए
फिर से वही "पल"
कहते हैं सभी जी लो ज़िन्दगी
"आज" में,
ज़िन्दगी में होता नहीं है"कल"...

कुछ गुज़रे हुए "पल" ऐसे होते हैं
जो जीए जाते हैं हर "पल"
जिनकी महक "याद" बनकर
ता-उम्र महकाती है
हर "सांस" में
जीया हुआ हर "पल"
फिर क्या ज़िन्दगी में
"आज" और "कल"......