Friday, July 9, 2010

कभी फुरसत मिले


दो घडी कर लो हम से दिल की बात
कल रुखसत हो गए हम
तो रह जायेगी दिल में ही बात

रहेगा तुम्हें ज़िन्दगी भर यह मलाल
इजहार न कर सके
दिल का था जो हाल

बे-इश-कीमती वक़्त है मेरा
थाम लो आज यह दामन
कल शायद हो न हो यह सवेरा

एक बार मान लो बस कहना यह मेरा

दो घडी के लिए ही सही
साथ दे दो मेरा..........

2 comments:

  1. खूबसूरती से बयां किये है एहसास

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  2. मुसाफिर है हम भी मुसाफिर हो तुम भी किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
    good

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