मुस्कुराती शाम..
रात के पेहलू में जाते-जाते
खुशनुमा कर चली पलों को कुछ इस तरह..
के चांदनी भी होठों तक आती हंसी को रोक न सकी,
हया से आँखों को बस मूँद लिया,
उस मीठे एहसास को
रात भर..
जी भर के जीया,
सुबह ने जब दस्तक दी
चाँदनी से,
थोड़ी सी शर्म सौगात मिली
और वो भी पलकें मूँद कर
शर्म से लाल हुयी....
यह कहानी शाम की..
चाँदनी में सिमटकर
सुबह परवान चड़ी....
रात के पेहलू में जाते-जाते
खुशनुमा कर चली पलों को कुछ इस तरह..
के चांदनी भी होठों तक आती हंसी को रोक न सकी,
हया से आँखों को बस मूँद लिया,
उस मीठे एहसास को
रात भर..
जी भर के जीया,
सुबह ने जब दस्तक दी
चाँदनी से,
थोड़ी सी शर्म सौगात मिली
और वो भी पलकें मूँद कर
शर्म से लाल हुयी....
यह कहानी शाम की..
चाँदनी में सिमटकर
सुबह परवान चड़ी....
No comments:
Post a Comment